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शहर में चरमराई सफाई व्यवस्था अंद्रोणी तो छोड़िए मुख्य मार्गो में नहीं हो रही सफाई

जिम्मेदारों को देना होगा ध्यान,मूलभूत सुविधा पाना नगरवासियों का हक

कवर्धा-
मुठ्ठी भर क्षेत्र में फैला नगर पालिका परिषद कवर्धा में हर तरह की सुविधा ढुंढ़ना तो बेमानी है। लेकिन मूलभूत सुविधा के लिए भी तरसना पड़े तो,बहुत कठिन परिस्थिती मानी जा सकती है। फिलहाल कवर्धा में सफाई को लेकर यही स्थिती बनी हुई है। यहां-वहां गंदगी का आलम है। नगर के मुख्य मार्ग में कचरों का ढेर लगा हुआ। लेकिन सूध लेने वाला कोई नहीं है।


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लोहारा नाका से आदर्श नगर जाने वाले मार्ग में जगह-जगह गंदगी का आलम पसरा हुआ है। लोगों के घरों से निकलने वाला कचरा एक से अधिक जगह डंप किया जा रहा है। लोग खुद कचरा फेंक रहे है। जबकि कचरा लेने रोज सुबह महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं वार्ड में आती है। जिसमें केवल घर का सामान्य कचरा ही डाला जाता है। बाकि बड़े कचरे को चौक के आसपास फेंक दिया जाता है। जो कुछ दिन साफ ना होने पर ढेर लग जाता है। यह नजारा आदर्श नगर के वटवृक्ष के पास,आदर्श शिशु पाठशाला के पास प्रमुख रूप से देखा जा सकता है।
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नगर के भीतरी गलियों की बात तो छोड़ दीजिए,मुख्य मार्ग की स्थिती इतनी दयनीय है कि अंदर के इलाकों की कल्पना की जा सकती है। आदर्श नगर डालडा पारा में तो सफाईकर्मी महिनों नहीं आते है। नालियों में संड़ाध मारती बदबू परेशान करने लगी है। लोग परेशान होकर जैसे-तैसे घर के बाहर से गुजरी नालियों से गंदगी बाहर निकालते है। ताकि पालिका कर्मी कभी आए तो,उठा ले। लेकिन लंबे समय तक कचरे के ढेर को ना उठाने पर वो फिर,नालियों में मिल जाता है। प्रतिदिन हर मोहल्ले में नालियों की सफाई व कचरों को उठाना संभव नहीं है। लेकिन महिना-पंन्द्रह दिन में एक बार तो साफ-सफाई की उम्मीद की ही जा सकती है। डालडा पारा वार्ड क्रमांक 04 व 05 में बटा हुआ है। एक तरफ की नालियां वार्ड 4 में दो दूसरी तरफ 5 नंबर में आता है। लेकिन मजे की बात है कि दोनों ही वार्ड के पार्षदों को इससे कोई सरोकार नहीं है। कोई झांकने तक नहीं आता है,पुराने तो चले गए,नए तो अभी तक वार्ड में जितने के बाद आभार जताने तक नहीं आए,उनसे और कोई उम्मीद ही नहीं की जा सकती है।

नगर के हर वार्ड में लगभग नए पार्षद ही जीतकर आए है। उनसे अब लोगों को यही उम्मीद है कि वे मूलभूत कार्यों में ध्यान दें। लेकिन फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा है। पहले जैसा ही ढूलमूल रवैया अपनाया जा रहा है। नगर पालिका में जिम्मेदारों की सुस्ती ही कहें कि पालिका का परिणाम आए,15 दिन का समय बीत गया है,लेकिन अब तक अध्यक्ष व पार्षदों ने पदभार ग्रहण नहीं किया है। जीत की खुमारी इतने दिनों बाद भी नहीं उतरी है,अब इनसे कार्यों में तेजी लाने की क्या ही उम्मीद की जा सकती है। अब 02 मार्च शपथ के बाद फिर अध्यक्ष व पार्षद किसी और तरह से जश्न में ना डूब जाएं।
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नगर पालिका परिषद कवर्धा का परिणाम आने के ठीक दूसरे दिन नगर पालिका के नवनिर्वाचित अध्यक्ष हाथ में झाडू लेकर नगर की सफाई करने निकल गए थे। उनके साथ पालिका के कर्मचारी भी शामिल रहे। उसके बाद तब से अब तक कोई नया चीज देखने को नहीं मिला है। केवल फोटो सेशन तक ही सफाई अभियान सिमट कर रह गया है। जबकि यह सतत चलने वाली प्रक्रिया है। साफ-सफाई अभियान के लिए गांधी जयंति या 15 अगस्त-26 जनवरी का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। लेकिन दुर्भाग्य ही कहें कि जिनको शहर की जनता शहर की समस्या हल करने,समाधान निकालने के लिए चुनती है। वो शहर के अलावा सभी काम करते नजर आते हैं। यही वजह है कि कवर्धा नगर पालिका अध्यक्ष के कार्यकाल का दर्दनाक अंत होता है। कोई दोबारा किसी पद के लायक नहीं बच पाता है। जनता की नजरों से ऐसे गिरते है कि किसी और पद के लायक नहीं रह जाते है। अब वर्तमान टीम को भी सोचना होगा कि वो भी इतिहास का हिस्सा बनना चाहते हैं। या फिर हटकर कुछ अलग करने की कोशिश करते है,ताकि जनता उन्हें अपने से होकर दोबारा चुनने के लिए आतिर नजर आए।
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