
कवर्धा-
जिला पंचायत अध्यक्ष का पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है। हाल में हुए पंचायत चुनाव में भाजपा का दबदबा रहा है। क्षेत्र के 14 में 13 पर धमाकेदार जीत दर्ज कर स्थिती पहले की तुलना में मजबूत की है। लेकिन परेशानी भी ये है कि अध्यक्ष पद के लिए दावेदार बहुत ज्यादा हो गए है। सीनियर जुनियर,जातिगत समीकरण के आधार पर निर्णय करना मुश्किल हो रहा है। सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर अध्यक्ष पद के लिए चेहरे का चयन होगा। जिसमें नि:संदेह हर पहलुओं को ध्यान में रखा जाएगा।
जिला पंचायत अध्यक्ष का पद पिछले कई पंचवर्षीय से एससी आरक्षित रहा है। जिसमें दूसरे वर्ग को अध्यक्ष पद के लिए मौका नहीं मिल सका है। लिहाजा इस दफे अध्यक्ष पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है। जिसमें किसी भी वर्ग से अध्यक्ष बनाया जा सकता है। लेकिन पिछला रिकार्ड देखे तो एसएसी वर्ग से अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी कमजोर पड़ रही है। हांलाकि भाजपा के दिग्गज व वरिष्ठ नेता रामुकुमार भट्ट सदस्य निर्वाचित हुए है। लेकिन उनके लिए मायनस प्वाइंट ये भी है कि उनकी पत्नी पिछले कार्यकाल में अध्यक्ष रह चुकी है। वहीं एसटी वर्ग से भी कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में पांच साल कार्यकाल विदेशी राम धुर्वे ने पूरी की थी।
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अब बारी सामान्य व पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखने वाले भाजपा नेता को मौका मिल सकता है। जिसमें पहली बार बने जिला पंचायत सदस्य भी शामिल हैं। लोगों में चर्चा का विषय है कि जैसे डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने शहर की जिम्मेदारी सीपी चंद्रवंशी को दे दी थी। जिसे अध्यक्ष पद के दावेदारी के साथ तैयारी के लिए कहा गया था। उन्हें टिकट भी मिला और वे जीत भी गए। ठीक उसी तरह एक आश्वासन कैलाश चंद्रवंशी को मिला था,जो जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का सपना संजोएं बैठे है। इससे पहले वे पंच का भी चुनाव नहीं जीते है,लेकिन जिला पंचायत सदस्य बनकर अध्यक्ष बनने की दावेदारी कर रहे है। वहीं दूसरे दावेदार में पूर्व विधायक के बेटे व दो बार के जनपद पंचायत उपाध्यक्ष रहे विरेन्द्र साहू भी दावेदार में शामिल हो गए है। हांलाकि पार्टी ने उन्हें अधिकृत नहीं किया था,ना किसी और को उनके निर्वाचित क्षेत्र में उतारा था। लेकिन चर्चा इस बात की भी है कि अगर पार्टी उन्हें अधिकृत रूप से उम्मीदवार नहीं बनाई थी। तो जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया जाने की उम्मीद काफी कम ही है।
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