
कवर्धा (बिलासपुर)-
दीपक नामदेव जो अंत्यावसायी विकास विभाग कवर्धा में प्रभारी कार्यपालन अधिकारी के पद पर रहे हैं। पदस्थापना के दौरान एसीबी ने उनके कार्यालय में छापा मार कर 17 जनवरी 2019 को कार्यवाही किया था़। जिसे निचली अदालत ने दोषी करार दिया था । उस फैसले को चुनौती देते हुए दीपक नामदेव ने अपने अधिवक्ता गौतम खेत्रपाल के माध्यम से उच्च न्यायालय बिलासपुर में अपील दायर किया था । जिसकी सुनवाई मुख्य न्यायाधीश के सिंगल बैंच मैं हुई।
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जिसमें प्रभारी कार्यपालन अधिकारी को उच्च न्यायालय में न्याय मिला, प्रकरण चीफ जस्टिस के सिंगल बैंच में फैसला 13 अक्टूबर 2025 को दीपक नामदेव के पक्ष में आया है। उच्च न्यायालय बिलासपुर छ.ग. के अपीलकर्ता के अधिवक्ता गौतम खेत्रपाल ने दलील दी कि निचली अदालत ने अपीलकर्ता को दोषी ठहराकर गलती की है । क्योंकि शिकायतकर्ता को स्वीकृत ऋण की पूरी राशि पहले ही वितरित की जा चुकी थी और अपीलकर्ता के लिए शेष राशि की जारी करने के लिए किसी भी अवैध रिश्वत की मांग करने का कोई कारण नहीं था। अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा है कि अपीलकर्ता ने शिकायतकर्ता से कभी भी किसी अवैध रिश्वत की मांग की थी।

जो कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 13 के तहत किसी भी अपराध के लिए एक अनिवार्य अनिवार्यता और एक कठोर वैधानिक आदेश है इस प्रकार, कथित रूप से अवैध परितोषण या उसकी वसूली के रूप में किसी भी राशि को स्वीकार करना, मांग के सबूत के बिना, अधिनियम की इन दो धाराओं के तहत आरोप लगाने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। साथ ही स्वतंत्र मुख्य गवाह पुनेश्वर वर्मा छाया साक्षी और एस के लाल पंच साक्षी ने न कुछ देखा और न कुछ सुना । इस आधार पर चीफ जस्टिस द्वारा 05 जलाई 2023 को पारित दोषसिद्धि एवं दण्डादेश का निर्णय अपास्त/ निरस्त किया जाता है और अपीलकर्ता/अभियुक्त दीपक सिंह नामदेव को आरोपों से बरी किया जाता है।
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