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7 साल पहले करीब 3 करोड़ की लागत से बनी पानी टंकी साबित हो रहा सफेद हाथी

इतने दिनों में नहीं हुई पानी की एक बूंद की भी सप्लाई

कवर्धा-

जिले के नगर पंचायत पांडातराई में सरकारी पैसों का दुरूपयोग कैसे किया जाता है,इसकी एक बानगी देखने को मिली है। कहने को नगरवासियों को शुद्व पेयजल मुहैया  कराने 7 साल पहले करीब 3 करोड़ की लागत से टंकी निर्माण कर पाइप लाइन बिछाया गया । लेकिन तब से अब तक इससे पानी की एक बूंद भी सप्लाई नही हुई। नलों के हल्क सूखे हुए है,पाइप लाइन अस्त-व्यस्त हो गया है। यह पानी टंकी जनता के पैसों की बर्बादी का एक जीता जागता  उदाहरण है ।

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नगर पंचायत पांडातराई के सीने में खड़ा ये विशालकाय पानी टंकी किसी बोझ से कम नहीं है। नगर के लोगों को पानी की पूर्ति के लिए पीएचई विभाग ने जल आवर्धन योजना के तहत 340 किलो लीटर क्षमता वाली पानी टंकी का निर्माण कराया था। साल 2019 में इसे नगर  पंचायत को हेंड ओव्हर भी कर दिया गया। लेकिन कई तरह की तकनीकी खामी,जगह-जगह लीकेज के चलते यह शुरू नहीं किया जा सका। लोगों को पानी के परेशान होना पड़ता है। दूर-दूर से पानी लाना पड़ता है। अब यह टंकी जर्जर हो गया है,नीचे रहने वाले लोगों को हमेशा डर बना रहता है,कहीं गिर ना जाए।

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स्थानीय पार्षद ने बताया कि इस टंकी के निर्माण के समय ही कई तरह की खामियां रही है। जिसे दूर करने के लिए अब लाखों रूपये खर्च करना पड़ेगा। एक भी सामान नहीं बचा है,पंप हाउस कबाड़ हो गया है। चेंबर खराब हो गया,पाइप उखड़ गया है,कहीं भी सही सलामत वाली स्थिति   नहीं बची है। यह जनता के पैसों की बर्बादी है,इस मामलेमें जवाबदेही तय की जानी चाहिए। वहीं मामले में नगर पंचायत के सीएमओ का कहना है कि साल 2019 में पीएचई विभाग के  निर्माण के बाद पानी टंकी को हेंडओव्हर लिया गया था। शुरूवात में कई जगह लीकेज थी,जिसके चलते यह शुरू नहीं हो सका,अब नए सिरे से इसकी जांच कर,जो कमिया है,उसे दूर करते हुए, पानी सप्लाई करने का प्रयास किया जाएगा। जो भी मामला है,वह कई साल पहले का है,फाइल   की भी जांच करनी होगी।

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लोगों की सुविधा के लिए बनाया गया पानी टंकी सफेद हाथी साबित हो रहा है। बिना किसी ठोस कार्ययोजना के केवल खानापूर्ति के लिए निर्माण कार्य किया जाना कहां तक  सहीं है। जनता के पैसौं की बर्बादी कर निर्माण के नाम पर औपचारिकता ही निभाई गई है। जिस पर जांच कर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। ताकि कोई दूसरा निर्माण कार्य इस तरह से ना हो।

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